Our Question Dadi ji's Answer
┈━═☆ *ड्रामा का ज्ञान सुख का आधार है, कैसे ?*
- ┈━═☆ *आत्मा का ज्ञान शान्ति देता है, बाबा का ज्ञान शक्ति देता है।* सुख कौन देता है? कैसी भी बात आ जाये, दु:ख नहीं करेंगे, दुख का मेरे पास निशान न रहे, तो मैं कहेंगी, ड्रामा की नॉलेज बहुत सुख देती है।
- ┈━═☆ *बाबा, ड्रामा का ज्ञान देकर, सारी योजना बताकर कहते हैं, बच्चे, सदा श्रीमत पर चलते चलो, कुछ भी हो जाये, संशय न आ जाये।* श्रीमत पर चलने वाले अंदर से पक्के होते हैं। किसी भी हालत में परमत के प्रभाव में नहीं आना। किस के प्रति भी मन में ग्लानि नहीं रखना।
- ┈━═☆ *निश्चय के बल से, समर्पित बुद्धि से, साक्षीद्रष्टा बनकर हर पार्टधारी के पार्ट को देखते हर्षित रही।* यह क्यों हुआ, क्या हुआ.अरे वैरायटी ड्रामा है। ऐसा नहीं होना चाहिए.. इसमें शान्ति से काम लो माना योगबल से काम लो। मूंझो और मुरझाओ नहीं।
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┈━═☆ *दादी जी , क्या आपका करेंगे , क्या करेंगे , इस प्रकार का चिंतन नही चलता ?*
- ┈━═☆ *शान्त रहना हमारा काम है, सेवा कराना बाबा का काम है इसलिए कैसे करेंगे, क्या करेंगे, ये संकल्प नहीं आते हैं।* चारों विषयों में पूरे नम्बर लेने के लिए ज्ञान है। ज्ञान से योग है, योग का प्रैक्टिकल सबूत है धारणा अच्छी होगी, उससे सेवायें हुई हैं इसलिए जब, जहाँ जो सेवा होनी है वह होगी।
- ┈━═☆ क्या सेवायें करूं, यह ख्याल कभी नहीं आया है। *मेरी भावना है कि जो बात मैंने बाबा से सीखी है या बाबा ने मुझे दी है वो सब आपको खुली बता दूँ, करो न करो आपकी मर्जी, पर मैं कहती हूँ, आप करेंगे।* मैंने ऐसा शक न अपने में रखा है, न आप में रखती हूँ।
- ┈━═☆ भावना है यह। *आज्ञाकारी बच्चों को ही दुआयें मिलती हैं। दुआओं में दवाई समाई हुई है।* कैसी भी कड़ी बीमारियाँ हैं, सब खत्म हो जाती हैं और श्रेष्ठ कर्म करने की शक्ति आ जाती है, दोनों काम इकट्ठे होते हैं। जब कोई भी अन्दर व्यर्थ ख्याल आवे तो फौरन उसको खत्म करो, तो शान्त रह सकेंगे। शान्ति में रहना माना सदा के लिए व्यर्थ खत्म।
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━═☆ *धोखा न लें , न दें - इसके लिए क्या करें ?*
- ┈━═☆ *परीक्षायें भी आयेंगी परन्तु लक्ष्यदाता द्वारा लक्ष्य मिला है लक्ष्मी नारायण सम बनने का।* बनाने वाले बाबा बैठे हैं, संगम का समय है, यह भी याद आता है तो बहुत खुशी रहेगी।ऐसी-ऐसी अच्छी बातें दिल में हैं तो कभी धोखे में नहीं आयेंगे, न धोखा देंगे। अच्छी और ऊंची बातें अगर बुद्धि में नहीं हैं तो धोखा मिल जाता है।* तो न धोखे में आना है, न धोखा देना है। दुनिया में दु:ख, अशान्ति बहुत है क्योंकि या तो धोखे में आये हैं या धोखा दिया है।
- ┈━═☆ *इसमें जिसने अपने को सम्भाला है, भगवान मेरा साथी है. तो सदा ही भगवान ने अपना बनाके मुसकराना सिखा दिया है, कभी धोखे में नहीं आये हैं।* उसी घड़ी टच होगा कि यह ठीक नहीं है। बस, जो न करने वाली बात है रुक जायेंगे, जो करने वाली बात होगी वह कर लेंगे।
- ┈━═☆ *यह भी अनुभव है, जो आवश्यक बात है वो छूटेगी नहीं, जो आवश्यक बात नहीं है उससे बच जायेंगे।* हम इन्सान हैं, हमारे पास ठीक और गलत को समझने की बुद्धि है कि यह सच है, यह झूठ है, यह पाप है, यह पुण्य है। इन्सान हो करके अगर इतना भी समझ से काम नहीं लेता है तो वो कौन हुआ? गॉड का बच्चा ऐसे चले, जो उसकी चलन से भगवान याद आये। *मीठे-मीठे बाबा के बोल ऐसे हैं जो हमको एकदम पिघला देते हैं।*
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┈━═☆ *बहुत विचार चलते हो तो कैसे रोके ?*
- ┈━═☆ *जो भाई-बहनें बहुत सोचते हैं उन्हें देख तरस पड़ता है, सोचने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि कल्याणकारी बाप है, समय भी कल्याणकारी है और कल्याणकारी यह संगठन है।*
- ┈━═☆ *ऐसे कल्याणकारी समय में सब बातों में कल्याण है, यह पक्का निश्चय हो।* कुछ भी हो जाये पर निश्चय का बल सहयोग देता है। और बातों में नहीं जायेंगे, बातों में जाना समय गंवाना है।
- ┈━═☆ *जितना पुरुषार्थ की गहराई में जाओ, दूसरे संकल्पों से फ्री हो जाओ तो शरीर कैसा भी है, अच्छा है।* यह नहीं कहेंगे, ऐसा है, कैसे अच्छा है? समय पर साथ देता है, इसलिए बहुत अच्छा है।
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┈━═☆ *क्रोध या आवेश का अंश भी नुकसान करता है , कैसे ?*
- ┈━═☆ *बाबा की साकार मुरलियों में इशारा मिल रहा है, बच्चे, क्रोध मत करो, बड़ा नुकसानकारक है।* थोड़ा भी क्रोध, आवेश हमारी अंदर की भावना सच्ची, शुद्ध, श्रेष्ठ बनने नहीं देता है तो हर एक पुरुषार्थ करके देखे।
- ┈━═☆ *कभी भी किसी कारण से मेरे अंदर क्रोध का अंश ना होवे।* अगर होवे तो महसूस करके खत्म करना, भट्ठी करने का मतलब यही है, संगठन का फायदा है।
- ┈━═☆ *पुरुषार्थ में बाबा कहते हैं, जो करना है अब, कर ले, जैसे बाबा करा रहे हैं, श्रीमत दे रहे हैं, उसी अनुसार पुरुषार्थ करो।*
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━═☆ *किन संकल्पों से हिसाब-किताब बन जाता है ?*
- ┈━═☆ *सही दृष्टिकोण है, हम बदलेंगे, जग बदलेगा। अगर सोचते कि पहले यह बदले, तो हम कभी नहीं बदलेंगे।*
- ┈━═☆ *क्या अभी तक यह ख्याल करेंगे कि यह बदले, यह करे.यह भी सोचा तो हिसाब-किताब बन गया।*
- ┈━═☆ *ऐसी बातें दिल से महसूस करो, कई बार अपने आप महसूस नहीं होती हैं, संगठन में सहज अनुभव हो जाती हैं।* अनुभव करना माना मुझे बदलना है।
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━═☆ सर्वगुण संपन्न बनने के लिए श्रेष्ठ धारणाएँ कौन-सी है ?
- ┈━═☆ हम सर्वगुण संपन्न तब बनेंगे जब किसी का अवगुण दिखाई न दे। हरेक का अपना गुण है। हरेक अपने गुण से सेवा कर रहे हैं, मैं अपने गुण से सेवा कर रही हूँ। मैं क्यों कहूँकि इसमें गुण नहीं हैं। बाबा ने हरेक की कोई न कोई विशेषता देखकर, अपना बनाकर सेवा कराई है। हरेक का पार्ट गूंधा हुआ है। तो ज्ञान को पीस-पीस करके अंदर ले लेना है। समझी, आप मुझे राय देते हो, तो मैं आपकी बात को कट नहीं करूंगी, अच्छी है। निमित्त बनके
राय करने में कोई हर्जा नहीं है पर ऐसे नहीं कि यह मेरी राय मानता नहीं है। अभिमान ऐसा है जो पता ही नहीं पड़ता है कि मेरे में यह अभिमान है। - ┈━═☆ कार्यव्यवहार में अभिमान नहीं है तो देही-अभिमानी स्थिति है। कार्य में अटैचमेन्ट नहीं है, कर्म से न्यारे हुए तो अशरीरी बन गये। न्यारा रहने से परमात्म प्यार की शक्ति आत्मा में भर जाती है। अगर किसी आत्मा को कोई समस्या है तो उसे भी ठीक कर देते हैं। ऐसा सकाश हो, इतना स्नेह हो जो उसकी समस्या चली जाये।
- ┈━═☆ हमारे स्नेह में इतनी ताकत हो जो और चिन्ता करना छोड़ दें। तन की बीमारी तब तक नहीं छोड़ती है जब तक मन बीमार है। भले हिसाब-किताब कुछ होता है लेकिन यह ख्याल ही न आये कि यह क्या हुआ, क्यों हुआ ? याद का बल जमा होता जाये, यह ध्यान रखना है। ख्याल ही न उठे कि यह हिसाब-किताब क्यों आया! अंदर से आवाज़ निकले कि सबका भला हो। संस्कारों में स्मृति रहे कि सबका भला हो। जैसी स्मृति रहेगी, वैसी वृत्ति होगी, वैसी दृष्टि होगी। जिसको रुचि होती है वो हर बात की गहराई में जाता है, फिर और बातों से न्यारा होता जाता है। वायुमण्डल ईश्वरीय आकर्षण वाला हो तो किसी भी आत्मा को पिघला सकता है। बाबा बच्चों में अपनी सब खूबियाँ भर रहे हैं। ताकत चाहिए जो भगवान की खूबियाँ हम बच्चों में आ जायें। राजाई पद पाने की खूबी आ जाये, और वो आयेगी भी अभी। अभी शब्द का महत्व है
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━═☆ *समयानुसार उड़ती कला में जाने के लिए किन बातों को ध्यान पर रखें ?*
- ┈━═☆ *1. हमें किसी के साथ टक्कर या चक्कर में नहीं आना है। किससे बनती है, किससे नहीं बनती है, जो मेरी महिमा करे वो अच्छा है, जो न
2. सर्व संबंधों का अनुभव एक बाप से करो तो निर्भय, निर्वेर बनेंगे।* याद ऐसी हो कि हम यहाँ हैं ही नहीं। बाबा के साथ रहते हमारी वृत्ति भी बेहद की हो जाये। बाबा ने किसी की कमी नहीं देखी। हमें भी किसकी कमी नहीं देखनी है। - ┈━═☆ *3. बातें आयेंगी, चली जायेंगी। डोंट वरी, नो प्रॉब्लम। कभी चिंता वा फिकर न हो। करनहार भी बाबा, करावनहार भी बाबा, हमको सदा आत्मअभिमानी बनकर, ट्रस्टी होकर रहना है।* 4. न हमको कोई एरिया है, न स्टूडेन्ट्स हैं, न सेन्टर है, कुछ नहीं है। जहाँ पाँव रखी अपना यज्ञ है। यज्ञ सेवा करने से हमारा संकल्प और समय सफल होता है। मैं जो करती हूँ, अपने लिए करती हूँ और वही करती हूँ जो बाबा ने सिखाया है।
- ┈━═☆ *5. यह अटेन्शन ज़रूर रहे कि जैसा कर्म मैं करूंगी, मुझे देख और करेंगे। , व्यर्थ सोचना, बोलना यह पाप का अंश है, तो ये बातें मेरे में न हों। यह है सावधानी की सीढ़ी, चढ़ती कला में आगे बढ़ने के लिए।* 6. जो ईश्वरीय लॉ वा मर्यादा अनुसार नहीं है उसे महसूस करके अपने को बदलना है। कोई घड़ी ऐसी न हो जो हम कहें कि आज हमारा मन ठीक नहीं है। व्यर्थ संकल्प पैदा करने की नेचर साइलेन्स की भट्ठी में सदा के लिए खत्म कर दी।
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┈━═☆ *सेवा में थकावट ना आए, क्या करें ?*
- ┈━═☆ *अपने को टीचर नहीं समझी, सेवा साथी हो। एक योग अपने लिए लगाते हैं जो कोई याद न आये, दूसरा सेवा में योग लग जाता है।* सेवा करते रहो, कभी थकना नहीं। थकते वो हैं जो आवाज़ में ज्यादा आते हैं।
- ┈━═☆ *थकावट उनको होती है जो देह अभिमान में आते हैं। अरे बाबा की सेवा है, बाबा के बच्चों की सेवा है, हम सेवाधारी हैं, सच्चाई और प्रेम में थकावट नहीं होती है।*
- ┈━═☆ *योग और ज्ञान है तो आटोमेटिक देह, संबंध से न्यारे और बाबा के प्यारे हो जाते हैं।* ऐसी स्मृति अच्छी हो कि सब बाबा के प्यारे बच्चे हैं, भले हज़ारों बैठे हैं पर सब बाबा के बच्चे हैं।
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┈━═☆ *अपनी कमी मिटानी है तो क्या करें ?*
┈━═☆ *सदा एक बाप, दूसरा ना कोई। एक बाबा के सिवाय दूसरी कोई बात दिल में नहीं रखनी है।* बाबा बैठे हैं, हम निश्चिंत हैं, कोई चिंता की बात नहीं है पर निश्चिंत भी तभी रहेंगे जब हमारे चिंतन में बाबा होंगे, शुभ चिंतन होगा अपने लिए, शुभ चिंतक होंगे सबके लिए। पुरुषार्थ में, चाहे सेवा में, चाहे
संबंध में, स्व, सेवा, संबंध तीनों ही श्रेष्ठ हों। स्व की स्थिति, जैसे आज बाबा ने कहा, हंस तैरता भी है तो उड़ता भी है। - ┈━═☆ *ज्ञान तैरना सिखाता है, न्यारा बनना सिखाता , योग उड़ना सिखाता है तो जब हम ऐसी चलन चलते हैं, ऐसा भाग्य बनाते हैं, तो हमारे को देख औरों का भाग्य बन जाता है।* ना किसी की कमी देखो, ना सुनो, ना मुख से वर्णन करो, यह थोड़ी भी आदत हो तो मिटा देना। कमी देखना, सुनना, फिर मुख से बोलना - बड़ा नुकसानकारक है।
┈━═☆ *मेरी कोई कमी देखता है तो अच्छा नहीं लगता है, मैं किसी की कमी देखूं, किसने मुझे छुट्टी दी है ? अगर अपनी कमी मिटानी हो तो किसी की कमी नहीं देखो।* किसी ने पूछा, किसी की गलतियाँ कब तक सहन करें ? मैंने कहा, यह भी अभिमान बोल रहा है, तुम गलतियाँ देखते ही क्यों हो, तुम ऐसा करो, जो कोई गलती करे ही नहीं। हमारे को देख, वायुमंडल को देख, प्यार भरे वायुमंडल, वायब्रेशन को देख परिवर्तित हो जाये।
